उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था की उसके पिता (रामजतन ) अब नहीं रहे. उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था की उसके पिता (रामजतन ) अब नहीं रहे.
इससे तो अच्छा है बैठक की प्रथा ही बंद कर दी जाये। इससे तो अच्छा है बैठक की प्रथा ही बंद कर दी जाये।
सिया शुरू दिन से ही देख रही थी ये सब नाटक , उसके सब्र का बांध टूट गया ! सिया शुरू दिन से ही देख रही थी ये सब नाटक , उसके सब्र का बांध टूट गया !
लेखक : अलेक्सांद्र पूश्किन ; अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : अलेक्सांद्र पूश्किन ; अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
छोटे-छोटे नेताओं को, लालबत्तीधारी गाड़ियों का क्रेज बना दिया जाता है। छोटे-छोटे नेताओं को, लालबत्तीधारी गाड़ियों का क्रेज बना दिया जाता है।
कभी कभी मैं सोचती हूं,कि क्या वाकई मरने के बाद भी कोई खाने आता होगा?" कभी कभी मैं सोचती हूं,कि क्या वाकई मरने के बाद भी कोई खाने आता होगा?"